जब भगत सिंह कानपुर में करते थे पत्रकारिता

कानपुर में 117वे जन्मोत्सव पर किया गया याद किया

प्रताप प्रेस भवन को विरासत भवन के रूप मे संरक्षित करने की मांग

कानपुर,29 सितंबर 2024। अमर शहीद भगत सिंह की कर्मस्थली प्रताप प्रेस भवन को हेरिटेज प्रापर्टी के रूप संरक्षित करने की मांग भगत सिंह जयंती के अवसर पर ओम कोचिंग, कैनाल कॉलोनी गोविन्दनगर मे कानपुर इतिहास समिति के सदस्यों ने किया । इस अवसर पर जनमानस पत्रिका के विशेषांक दास्तान ए शहीद ए आजम का लोकार्पण किया गया भगत सिंह के साथी रहे डॉ. गयाप्रसाद कटियार ने फिरोजपुर प्रवास में भगत सिंह के केश काटने और संगठन के सन्दर्भ पर प्रकाश डाला ।

प्रताप के प्रतापी पत्रकार बलवंत ही थे भगत सिंह

अध्यक्ष विश्वम्भरनाथ त्रिपाठी ने कहा कि सरदार भगत सिंह पर जब घरवालों ने विवाह का दबाव बनाया,तब वह घर छोड़ कर कानपुर आ गए।भगत सिंह कानपुर अपने क्रांतिकारी साथी शचींद्रनाथ सान्याल का पत्र लेकर सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य जी के साथ रहने आए थे।भट्टाचार्य ने ही उन्हे गणेशशंकर विद्यार्थी से मिलवाया और फिर प्रताप मे बलवंत नाम से गुप्त रूप से काम किया।राजकीय महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुमन शुक्ला बाजपेई ने कहा कि भगत सिंह जी कानपुर प्रवास में प्रताप प्रेस में कार्य के दौरान बलवंत नाम से लेखक जगमोहन विकसित और विष्णुदत शुक्ल से जुड़े रहे । उसी प्रकार करांचीखाना के क्रांतिकारी सिन्हा बन्धु, कुरुसंवा के बटुकेश्वरदत्त, और डीएवी हॉस्टल के साथियों और आर्यसमाज के कई उपदेशको के सम्पर्क में भी रहे थे।

भगत सिंह की फांसी का कानपुर जोरदार किया गया था विरोध

महासचिव अनूप शुक्ल ने कहा कि फरवरी 1931 को जब लाहौर षडयंत्र केस मे फांसियो की सजा सुनाई गई तो कानपुर से बहुत विरोध किया गया हड़ताल में नारा दिया गया कि – गर भगत सिंह फांसी चढ़ाए जाएंगे,तो ये गोरे बमो से उड़ाए जाएंगे। डीबीएस कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. नीलम शुक्ला ने कहा कि कानपुर के क्रांतिकारी सिन्हा बंधुओ की मां शरदकुमारी सिन्हा ने व्यक्तिगत रूप से महात्मा गांधी जी से मिलकर भगत सिंह की फांसी की सजा रुकवाने के लिए निवेदन किया था पर गांधी ने उसे अनसुना कर दिया। इसका पूरा विवरण आशा सिंह की पुस्तक सिन्हा बंधु में हैं। जनमानस पत्रिका के विशेषांक दास्तान ए शहीद ए आजम पर संपादक प्रखर श्रीवास्तव ने प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी प्रशंसा भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह और पाकिस्तान के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के इम्तियाज कुरैशी और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा, सुधीर विद्यार्थी व प्रोफेसर चमनलाल द्वारा सरहना की गई है । समाजसेवी हर्षित सिंह ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी की पुत्री विमला विद्यार्थी के मुताबिक़ भगत सिंह जी बलवंत नाम से करीब नौ माह प्रताप का आतिथ्य स्वीकारा था । विनोद टंडन ने कहा कि भगत सिंह की शहादत के बाद जन्माष्टमी के अवसर पर जब पुलिस लाइन में श्रीकृष्ण पहलवान की नौटंकी का आयोजन हुआ तो उन्होंने आचनक से भगत सिंह पर नौटंकी का विषय कर दिया और मार्मिक ढंग से अभिनय हुआ। जिससे जनसमुदाय व भारतीय पुलिस कर्मी उत्तेजित हो गए । अंगेज पुलिस अधिकारी मौके की नजाकत भांप कर निकल गए अगले दिन श्री कृष्ण पहलवान की दुकान पर छापा डाल दिया लेकिन वहां से राष्ट्रीय साहित्य हटा दिया गया था । कार्यक्रम में डॉ सुमन शुक्ला बाजपेई, विश्वम्भर त्रिपाठी, डॉ नीलम शुक्ला, डॉ शैलजा शुक्ला, क्रांतिकुमार कटियार, प्रखर श्रीवास्तव, विनोद टंडन,अनुराग सिंह, हर्षित सिंह, कुणाल सिंह, ओम मिश्र आदि उपस्थित रहे ।

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