कानपुर देहात,12 मार्च 2024। हारे का सहारा बाबा श्याम है। श्याम बाबा अपने भक्तों की मदद के लिए सदैव खड़े रहते हैं। यह बात बैरी दरियाव के सांवरा श्याम मंदिर में चल रही श्याम कथा के द्वितीय दिवस की कथा में चुलकाना धाम से पधारी भागवत विदुषी श्यामा दीदी ने कही। उन्होंने मोरवी और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक के जन्म की कथा को श्रोताओं को सुनाया। बर्बरीक को खाटूश्याम के नाम से भी जाना जाता है ।बाल्यकाल से ही वे बहुत वीर और महान योद्धा थे। उन्होंने अपनी माता के कहने पर युद्ध-कला भगवान श्रीकृष्ण से सीखी और उनके प्रशिक्षण में वे अजेय योद्धा बन गए। माॅं आदिशक्ति की तपस्या कर उन्होंने असीमित शक्तियों को भी अर्जित कर लिया। अपने गुरु श्रीकृष्ण की आज्ञा से उन्होंने कई वर्षों तक महादेव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया। और भगवान शिव शंकर से तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए और ‘तीन बाणधारी’ का प्रसिद्ध नाम प्राप्त किया। साथ ही अग्निदेव ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें अपना दिव्य धनुष प्राप्त किया।बर्बरीक को उनकी माता मोरवी ने यही सिखाया था कि सदा ही पराजित पक्ष की तरफ से युद्ध करना। और वे इसी सिद्धान्त पर लड़ते भी रहे। महंत राजेश त्रिवेदी ने भक्तों को आशीष दिया।
शिवली। परसौली गांव से लगभग एक हजार भक्तो ने बाबा खाटू श्याम के ध्वज निशान मोटरसाईकिल से लेकर सांवरा श्याम मंदिर बैरी दरियाव में अर्पित की।इस यात्रा में आलोक पाल,पवन कुशवाहा, लालू यादव,दीपक,राजा, प्रिंशु,ब्रजेश चौहान,अर्पित,शिखा,अंकिता, मिथलेश,अंकुश सहित हजारों भक्तो ने ध्वज यात्रा में मौजूद रहे।