बिसरी यादें-क्रिसमस पर कानपुर को मिली थी बिजली की रोशनी

117 साल पहले क्रिसमस पर कानपुर को मिला था बिजली का तोफा

प्रस्तुति -गीतेश अग्निहोत्री/सुनाद न्यूज

सुनाद न्यूज विशेष,25 दिसंबर 2055।२५ दिसंबर १९०६ ई० को क्रिसमस पर्व पर कानपुर को बिजली का तोहफा मिला | बिजली का तोहफा देने वाली कंपनी थी “दि इंडियन इलेक्ट्रिक सप्लाई एण्ड ट्रैक्शन कंपनी” ( The Indian Electric Supply and Traction Co. ) |

26 सालों तक कानपुर में चली ट्राम 

यह वही कंपनी थी जिसने सन १९०७ में कानपुर मे सबसे पहले ट्राम चलाई जो २६ साल चली । ट्राम शहर के रेलवे स्टेशन से कलेक्टरगंज, हालसी रोड, परेड, इलाहाबाद बैंक क्रासिंग होते हुए सरसैया घाट तक चलती थी।

परेड पर बनाया गया बिजली घर का मुख्यालय

कानपुर के गिर्जाघरो को रोशन करने के साथ मार्गप्रकाश और यूरोपियन परिवारो के घरो पर बिजली की व्यवस्था सबसे पहले विद्युत आपूर्ति कंपनी ने किया था | बाद मे उस दि कानपुर इलेक्ट्रिक सप्लाई कारपोरेशन लि० ( The Electric Supply Corporation Ltd.) नाम दिया गया | परेड के पास सन् १९२५ मे कारपोरेशन का मुख्यालय बिजलीघर के नाम से बनाया जाने लगा जिसमे सन् १९३१ मे बिजलीघर का क्लाक टावर निर्मित किया गया और ८० हजार रुपये के ब्यय के साथ सन् १९३२ मे बिजलीघर क्लाक टावर का शुभारंभ हुआ था।

बिजली आने से पहले दीपकों से झिलमिलाता था अपना कानपुर

कानपुर मे बिजली आगमन से पूर्व घरो व सड़को पर तेल के दीपक रखे जाते थे | सन् १८५७ की क्रान्ति के बाद हिन्दुस्तान आए ब्रिटेन के पत्रकार डब्लू. एच. रसेल की किताब “माई डायरी इन इन्डिया” मे कानपुर यात्रा का एक पेज देखे ….

“१८ अक्टूबर १८५८ ई०”. कलेक्टर शेरर उनके सहायक मि. बीटा मशहूर फोटोग्राफर और मै एक खुली गाड़ी मे घुड़सवारो के साथ शहर मे गये | मुख्य मार्ग देशी रंग से रोशनी मे रंगा था, इसका प्रभाव अत्यधिक सौम्य और सुन्दर था | सड़क पर कोई फुटपाथ नही थे, खुली नालियां मिट्टी के छोटे दीपको मे दिखाई पड़ रही थी | सड़क के किनारे बांसो मे छोटे छोटे दीपक जल रहे थे | घरो मे भी इस तरह के दीपक जलने से सब ओर रोशनी थी। संकलन-अनूप कुमार शुक्ल,महासचिव,कानपुर इतिहास समिति

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