शिवली का स्वराज आश्रम खादी भंडार वर्षो से बंद
खादी के कपड़े खरीदने के लिए कानपुर तक लगानी पड़ती है दौड़
शिवली,कानपुर देहात,04अक्तूबर 2023। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ कहे जाने वाले शिवली कस्बे व आसपास गांवों के लोगों को खादी के कपड़े लेने के लिए चालीस किलो मीटर दूर कानपुर जाना पड़ रहा है। कस्बा शिवली का खादी स्वराज्य आश्रम खादी भंडार का कार्यालय सात वर्ष पूर्व बंद कर दिया गया। इसके बाद से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
चार दशक पहले शिवली में खोला गया था स्वराज आश्रमखादी भंडार
चार दशक पहले कस्बा में तारा चन्द्र इंटर कालेज में खुला स्वराज आश्रम खादी भंडार करीब सात वर्षों से बंद पड़ा है। जिससे खादी के कपड़े लेने के लिए ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पहले कस्बा शिवली के लोगों व तहसील मैथा के 122 गांवों के लोगों को पहले यहीं से खादी के कपड़े मिल जाते थे। अब खादी के कपड़े लेने के लिए कानपुर की राह पकड़नी पड़ती है। तब से ग्रामीण खादी आश्रम को खुलवाने की मांग कर रहे हैं। व्यापार मंडल के अध्यक्ष रमाकांत अग्निहोत्री ने कहा स्वतंत्रता आंदोलन में शिवली के स्वतन्त्रा सेनानियों का भी योगदान है। तहसील के इकलौते बन्द खादी स्वराज आश्रम को खोला जाना चाहिए। बैरी के शिवम दीक्षित ने कहा कि स्वराज आश्रम में खादी के कपड़े मिल जाते थे। अब कानपुर तक दौड़ लगानी पड़ रही है। हीरामन शिवली के प्रधान जनार्दन सिंह ने कहा कि खादी पर सरकार जोर दे रही है। शिवली के बंद केंद्र को खोला नही जा रहा है।
कस्बा शिवली के डा रामशरण तिवारी ने कहा कि खादी स्वराज आश्रम को खोला जाना चाहिए। जिससे ग्रामीणों को खादी के कपड़े खरीदने के लिए कानपुर तक की दौड़ बच सके।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ रहा है क्षेत्र
शिवली के अंगल लाल मिश्र,राम रतन पांडेय,यज्ञदत्त शास्त्री,छन्नू लाल बाजपेई,राजेन्द्र प्रसाद अवस्थी,बब्बू प्रसाद मिश्र,लालपुर शिवराजपुर के हाकिम सिंह,जुगराजपुर बिठूर की नारायणी त्रिपाठी आदि प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं।
राजू शुक्ला/सुनाद न्यूज