कहिंजरी का संस्कृत विद्यालय दुर्दशा का शिकार

-ध्यान नही दे रहे जिम्मेदार,परेशानी

सुनाद न्यूज
9 मई 2022।

रजनीश बाजपेयी
रसूलाबाद(कानपुर देहात) तहसील क्षेत्र में स्थित संस्कृत विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। वहीं प्रधानाध्यापक का कहना है कि जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नही दे रहे हैं। जिससे देवभाषा का यह विद्यालय दुर्दशा का शिकार बन गया है।
रसूलाबाद तहसील क्षेत्र के अंतर्गत कस्बा कहिंजरी में स्थित एकमात्र श्री कृष्ण संस्कृत विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। वहीं वर्तमान प्रधानाचार्य राकेश शुक्ला ने बताया की करीब डेढ़ वर्ष से विद्यालय में उनकी नियुक्ति है।तब से उन्हें विद्यालय का भवन जर्जर होने की वजह से बाहर नीम के नीचे बैठकर अध्यापन कार्य करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि एक वर्ष पूर्व भवन जर्जर की सूचना संस्कृत पाठशाला उपनिरीक्षक अशोक गुप्त मंडल कानपुर को दी थी । लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई।

करीब सौ वर्ष पूर्व हुई थी विद्यालय की स्थापना

सौ वर्ष पूर्व सन् 1914 में स्वर्गीय रामनारायण गुप्त द्वारा इस संस्कृत विद्यालय की नींव रखी गई थी । तब इस विद्यालय की मान्यता का शास्त्री (बीए) पर्यंत तक थी।और इस विद्यालय में बच्चों के लिए गुरुकुल जैसी व्यवस्था उपलब्ध थी दूर-दूर से शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने वाले बच्चों व आचार्य गणों के लिए रहने और खाने पीने की व्यवस्था उपलब्ध थी। स्वर्गीय रामनारायण गुप्त ने विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के खाने खर्चे के लिए अपनी भूमि भी दान की थी।

बोले ग्रामीण-जिम्मेदार न चेते तो बंद हो जाएगा विद्यालय

क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि अब विद्यालय देखरेख के अभाव में खस्ताहाल हो गया है । अभी सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो क्षेत्र की धरोहर के रूप में चल रहा यह संस्कृत विद्यालय बंद हो जाएगा। शीलू तिवारी, मनोज दीक्षित, विजय शुक्ला, रामबली तिवारी, रामू शुक्ला, लल्ला तिवारी, रज्जू दुबे, राकेश शुक्ला, ओमप्रकाश, राकेश तिवारी, हरिओम शुक्ला आदि कस्बा वासियों ने बताया कि पूर्व में विद्यालय की स्थिति बहुत अच्छी थी करीब पंद्रह किलोमीटर की दूरी तक के छात्र विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे।उनके वैदिक मंत्रों से माहौल भी अच्छा रहता था।

शास्त्री से घटकर मध्यमा तक रह गई मान्यता
वर्तमान समय में विद्यालय की मान्यता उत्तर मध्यमा (इंटर)तक रह गई है। जब कि सौ वर्ष पूर्व स्थापना के समय विद्यालय की मान्यता का शास्त्री (बीए) पर्यंत तक थी।और विद्यालय का भवन भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। जिम्मेदारों की हीलाहवाली के चलते आचार्य और विद्यार्थियों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं रह गई है।

विद्यालय में मा45 छात्र व एक शिक्षक
प्रधानाचार्य ने बताया कि वर्तमान में विद्यालय में 45 छात्र संख्या है । जिसमें करीब 15 बच्चों ने बोर्ड परीक्षा भी दी थी । और बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए वह निरंतर प्रयास कर रहे हैं। पढ़ाई कराने का पूरा भार उन्ही के कंधे पर है।
पूर्व प्रधानाचार्य रमेश कुमार मिश्र ने बताया कि करीब बीस वर्ष पूर्व
पूर्व शिक्षक विधायक राजबहादुर सिंह चंदेल द्वारा एक हाल का निर्माण कराया गया था जिसकी देखरेख न होने के कारण वह भी जीर्ण हालत में खड़ा है ।

कहिन अपन बात
व प्रधानाचार्य राकेश शुक्ला ने बताया कि संस्कृत विद्यालय उपनिरीक्षक मण्डल कानपुर व जिला विद्यालय निरीक्षक कानपुर देहात को समस्याओं से अवगत कराया गया। परंतु अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। इस बाबत जिला विद्यालय निरीक्षक से मोबाइल पर संपर्क का प्रयास किया गया। उनसे बात नही हो पाई।

About sunaadadmin

Check Also

किसान दिवस का 20 नवंबर को होगा आयोजन-उप कृषि निदेशक

कानपुर देहात 18 नवंबर 2024। जिलाधिकारी आलोक सिंह के निर्देशन में उप कृषि निदेशक रामबचन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *