अदभुत अकल्पनीय अविस्मरणीय-सावन विशेष
कानपुर देहात,10 जुलाई 2023। रसूलाबाद कस्बे में धर्मगढ़ बाबा मंदिर में है। जिसमें शिवलिंग के रूप में साक्षात शिव विराजते हैं। ऐसा भक्तों का मानना है। भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से दरबार आने वालों की झोली बाबा खाली नही रहने देते हैं। खास बात यह है कि मंदिर पर हमला कर मुस्लिम आतताइयों ने इसे तोड़ा। वहीं स्वप्न देख मुस्लिम थानेदार ने कुएं से शिवलिंग निकलाकर स्थापित कराया।
बुजुर्ग बताते हैं कि सन 1133 में नार कहिजरीं नरेश वत्सराज गौर ने इस शिवालय में शिवलिंग की स्थापना की थी और मंदिर परिसर के पास ही ब्रह्मावर्त सागर नामक एक विशाल सरोवर का निर्माण कराया था। सन 1200 में वत्सराज के भतीजे गोपानचंद्र ने यहां दुर्ग बनवाकर इसे धर्मगढ़ किले का नाम दिया। मोहम्मद गौरी के सेनापति बख्तियार खिलजी, सन 1203 में कुतुब्बुद्दीन ऐबक,सन 1278 में सुल्तान बलवन समेत कई आक्रमणकारियों ने इस दुर्ग तथा शिवालय को काफी हानि पहुंचाया। बताया जाता है कि आक्रमण के दौरान मंदिर के पुजारियों ने शिवलिंग को किले में ही बने कुएं में डाल दिया था।
सन 1943 में रसूलाबाद के तत्कालीन मुस्लिम थानाध्यक्ष इसरार हुसैन को स्वप्न में कुएं में पड़ी शिवलाट दिखाई पड़ी थी। जिसके बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष ने टीले पर ही बने कुएं से शिवलाट को निकलवाकर धर्मगढ़ शिवालय में स्थापित करवायी। फिर सन 1945 में थानाध्यक्ष नागेन्द्र सिंह ने मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कराया। रसूलाबाद थाना मंदिर से लगा हुआ ही है।