शोभन मंदिर की झील व कड़री मंदिर के कई सैकड़ा पीपल प्रकृति के संरक्षण में निभा रहे बड़ी भूमिका

शोभन की झील कर रही भूगर्भ में पानी संरक्षण,कड़री के पीपल के वृक्ष कर रहे वातावरण शुद्ध
कानपुर देहात,06 जून 2023। प्रकृति का संरक्षण करने में क्षेत्र के कई मंदिर सबसे अलग दिखाई देते हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में विख्यात शोभन मंदिर में चार किलो मीटर में फैली झील वाटर रिचार्जिंग का कार्य कर रही है। इस तरह की झील प्रदेश के कम ही मंदिरों में है। दूसरी तरफ कड़री हनुमान मंदिर में लगे डेढ़ सौ पीपल के वृक्ष क्षेत्र को हरा-भरा बनाए हैं।साथ ही पीपल के वृक्षों से मिलने वाली ऑक्सीजन आसपास का वातावरण शुद्ध बना रहे है।
क्षेत्र के विख्यात शोभन हनुमान मंदिर में डेढ़ दशक पूर्व लिफ्ट कैनाल से संचालित नहर बनाई गई थी। जिससे दस गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए निःशुल्क पानी दिया जाता है। साथ ही शोभन मंदिर के आसपास चार किलोमीटर झील मन्दिर का आकर्षक बनाती है साथ ही मंदिर परिसर व आसपास के गांव का वाटर लेवल रिचार्जिंग में बड़ी भूमिका निभा रही है शोभन मंदिर के महंत हरिशरण पांडेय जी महाराज ने बताया किल लिफ्ट कैनाल से ही झील को भरा जाता है।झील के पानी से मंदिर परिसर के पेड़ों को हरा भरा रखने में मदद करता है। आम गूलर,पीपल,बरगद,नीम,जामुन सहित कई सैकड़ा वृक्ष भी लगे है।
कड़री हनुमान मन्दिर के परिसर में एक दशक पूर्व करीब डेढ़ सौ पेड़ पीपल के लगे हैं। इसके अलावा परिसर में गूलर,कैथा,नीम,बरगद,महुआ के पेड़ लगे हैं। इस कोरोना काल मे बड़ी संख्या में भक्त व बाहर के लोग मंदिर परिसर में आक्सीजन के स्तर को सही करने के लिए पहुंच रहे हैं। पीपल के एक सौ एक पौधे आठ वर्ष पहले मंदिर के संत ने रोपे थे। जब कि कई पेड़ प्राकृतिक रुप से जम आए थे। इतनी बड़ी संख्या में पीपल खड़े होने से लोग इस मंदिर को पीपल वाला मंदिर भी कहने लगे हैं।मंदिर के पुजारी रमेश स्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि मंदिर पीपल वृक्षों के चलते खास है।

दूरदर्शी संत शोभन सरकार व कडरी महाराज
प्राचीन समय में मंदिर में ही संत बड़ा संदेश देते थे। गुरुगुकुल में शिक्षा के साथ बच्चों को हर विषय मे पारंगत बनाया जाता था। सनातन संस्कृति में नदियों व पेडों को बहुत ऊंचा स्थान दिया जाता है। कुछ इसी परंपरा पर महान संत शोभन।सरकार भी चले उत्तर प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा मंदिर हो जहां इतनी बड़ी झील हो। झील से पर्यावरण बचाने पानी को भूगर्भ में संरक्षित करने का उनका यह प्रयास हमेशा याद किया जाएगा। किसानों के सिंचाई के लिए नहर किसी मंदिर में नही दिखता है। सबसे बड़ी बात शोभन सरकार के गोलोकवासी होने बाद भी सब कुछ उसी तरह शोभन मंदिर के सर्वराकार व संत हरिशरण पांडेय की देखरेख मेंचल रहा है। शिवली रूरा रोड पर कडरी मंदिर के संत ने पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए पीपल के पेड़ लगाने का अभियान चलाया। जो काम सरकारें नही कर पाई। वह संतों ने कर के दिखाया है।

गीतेश अग्निहोत्री/सुनाद न्यूज

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