सुनाद न्यूज
15 फरवरी 2023
अपनी बात-खरीखरी—
सन्तोष गुप्ता,वरिष्ठ पत्रकार
अब सरकार को सिस्टम में बदलाव के लिए अधिकारियों कर्मचारियों के तानाशाही पूर्ण कार्य व्यवहार में बदलाव के लिए चिंतन के लिए कार्यशालाओं के आयोजन पर बल देना चाहिए।अक्सर जनता के सेवक डीएम,एसपी,एसडीएम सीओ,तहसीलदार,थानेदारो का कार्य व्यवहार जनता के प्रति तानाशाही पूर्ण देखा जाता है ।वरिष्ठ अधिकारियों में अक्सर यह बहुत ही नकारात्मक सोच देखी जाती है। कि अगर उन्होंने आपकी फरियाद पर नकारात्मक सोच स्वयम या नीचे के अधिकारियों के बताने पर बना ली। तो अक्सर फरियादियों की समस्याओं पर यह वरिष्ठ अधिकारी नकारात्मक निर्णय ही ले लेते है। भले ही फरियादी की बात सत्य हो और उसे न्याय नही मिल पाता है।जिससे पीड़ित व्यक्ति बेहद परेशान हो जाता है ।अधिकारियों की इस सोच पर लगाम लगाने की बेहद आवश्यकता है ।
सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों को इतनी सुविधाएं दे दी है। कि इन अधिकारियों के राजशी ठाठ बाठ देखकर ही गरीब ठिठक जाता है। तहसील दिवसों में जहां जनता की फरियादें सुनी जाती है।वहां जनता खड़े होकर नौकरों की भांति गिड़गड़ाती देखी जाती है। जहां उन्हें बैठने के लिए कुर्सियां तक नही होती है। वही अधिकारियों की मेंजो पर पिस्ता, बादाम,काजू की प्लेटों को सजे देखा जाता है। और अंग्रेजी शासन की भांति राजा साहबो के आगे जनता बेबस खड़ी होकर अपनी समस्या बताती है।
यह भी देखा जाता है कि इन साहबो की नकारात्मक सोच अगर न समझ के कारण बन गयी और आपने सच्चाई के लिए बहस कर दी तो आपको अधिकारियों के निर्देश पर थानों में बैठकर शांति भंग की कार्यवाहियों या अन्य धाराओं के मुकदमो का शिकार भी होना पड़ सकता है और तमाम लोग शिकार हुए।उदाहरण के लिए कानपुर देहात के मंडौली की घटना प्रत्यक्ष है।अगर डीएम साहिबा पीड़ितों की फरियाद सुन लेती और पीड़ितों पर उल्टा आपराधिक मुकदमा दर्ज न होता। तो शायद पीड़ित इतना हताश उदास न होता और माँ बेटी की इस तरह दर्दनाक मौत भी न होती। और पूरे देश मे इस शर्मनाक घटना की निंदा के साथ अधिकारियों को शर्मिंदगी न उठानी पड़ती।और न ही प्रदेश सरकार को शर्मसार होना पड़ता है। ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।