सुनाद न्यूज
04 जनवरी 2023
ब्रजबिहारी द्विवेदी
कानपुर देहात। उत्तर भारत में विख्यात कानपुर देहात जिले के शिवली के जागेश्वर मंदिर के तेरहवें वार्षिकोत्सव का ग्यारह दिनों से चल रहे धार्मिक आयोजन का बुधवार को धूमधाम से समापन हो गया। रुद्रमहायज्ञ में आचार्य रमेश शास्त्री ने समाज मे शारीरिक,मानसिक व्याधियों को खत्म करने,सुखशांति व मनोकामना पूर्ण करने के लिए बुधवार को दो लाख उन्नीस हजार चार सौ इकत्तीस आहुतियां डलवाने के बाद पूर्णाहुति कराई। पूर्णाहुति में एसपी पांडेय,सुरेश कटियार,विमलेश अग्निहोत्री,मनीष सैनी,सत्यदेव ने आहुतियां डाली। मंदिर को विभिन्न फूलों से ह्रदयेश सैनी ने सजावट की। पुजारी राकेशपुरी ने बाबा जागेश्वर की विशेष आरती उतारकर पूजन किया। भक्तों ने केक भी काटा।व्यास रामचन्द्र दास ने अंतिम दिवस की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान का स्मरण व्यक्ति को नाना प्रकार की व्याधियों से बचाने का मूलमंत्र है। इस मौके पर शेखर त्रिवेदी,शिवकुमार तिवारी,दिनेश प्रजापति,भूपेंद्र सिंह,जनार्दन यादव,देवेंद्र त्रिपाठी,जीतू,सुमित पाठक,अरविंद साहू मौजूद रहे।
भोले बाबा शिवली में स्वयं हुए प्रकट
शिवली। कस्बा शिवली के जागेश्वर मंदिर के शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है। इसी शिवलिंग के नाम पर कस्बे का नाम शिवली पड़ा है। वर्तमान समय मे शिवली के नाम से नगर पंचायत स्थापित है। तेरह वर्ष पूर्व भक्तों ने वार्षिकोत्सव मनाना शुरू किया।
क्षेत्र से होकर पांडव नदी के समीप प्राचीन जागेश्वर मंदिर स्थित है।मान्यता है कि यहां का शिवलिंग स्वयं धरती से प्रकट हुआ है। शिवलिंग का दूसरा छोर पाताल से जुड़ा है। बताते चले की प्राचीन समय में बंजारों की एक गाय टीले पर एक जगह दूध गिराने लगती थी। चरवाहों ने यहाँ खुदाई करवाई तो शिवलिंग पाया गया। 18वीं शताब्दी में शिव जी के परमभक्त देवनाथ दुबे ने मंदिर और तालाब व कुआं का निर्माण करवाया था। मंदिर परिसर में कई देवी देवताओ के मंदिर स्थापित हो चुके है।