फसल अवशेषों का मल्च के रूप में प्रयोग करके खरपतवारों को करें कम

सुनाद न्यूज

06 नवंबर 2022

गीतेश अग्निहोत्री
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा केंद्र पर आज फसल अवशेष प्रबंधन योजना अंतर्गत पांच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण के तीसरे दिन वैज्ञानिकों ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के विभिन्न वैज्ञानिक तथ्यों को समझाया। इस अवसर पर केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रामप्रकाश ने कृषकों को बताया कि स्ट्रॉ चॉपर एवं रोटावेटर कृषि यंत्र से फसल अवशेषों को बारीक टुकड़ों में काटकर भूमि में मिला दिया जाता है। तत्पश्चात हैप्पी सीडर द्वारा सीधे गेहूं की बुवाई कर देते हैं। उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि फसल अवशेषों का मल्च के रूप में प्रयोग करके खरपतवारों को भी कम किया जा सकता है। साथ ही साथ मृदा की सेहत में भी सुधार होता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष गर्मी के तापमान को भी कम करते है।फसल अवशेष प्रबंधन के नोडल अधिकारी डॉ खलील खान किसानों को बताया कि मृदा में कार्बनिक पदार्थ ही एकमात्र स्रोत है। जिसके द्वारा मृदा से पौधों को विभिन्न पोषक तत्वों को उपलब्ध हो जाते हैं। तथा कंबाइन द्वारा फसल कटाई करने पर अनाज की तुलना में फसल अवशेष अधिक होता है। यह मृदा में सड़कर कार्बनिक पदार्थ की वृद्धि करते हैं। डॉक्टर खान ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि फसल अवशेषों में लगभग सभी पोषक तत्व होते हैं। जिससे फसलों में नाइट्रोजन की मात्रा कम देनी पड़ती है और किसानों की आय में वृद्धि होती है। उन्होंने किसानों को बताया कि फसल अवशेषों में आग लगाने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव, मृदा के भौतिक गुणों पर प्रभाव एवं पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है। डॉक्टर खान ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन कर मृदा की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के टिप्स दिए और कहा कि ऐसी भूमियों में सब्जी गुणवत्ता पर उत्पाद होती है। इस अवसर पर ज्योति, औरंगाबाद एवं सहतावनपुरवा गांव के 25 किसानों ने प्रतिभाग किया।

About sunaadadmin

Check Also

किसान दिवस का 20 नवंबर को होगा आयोजन-उप कृषि निदेशक

कानपुर देहात 18 नवंबर 2024। जिलाधिकारी आलोक सिंह के निर्देशन में उप कृषि निदेशक रामबचन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *