स्त्री देवी का स्वरूप उन पर अत्याचार करने वालों का करें बहिष्कार ,मिले कड़ा दंड

लेख-नवरात्रि पर विशेष

हमारे देश में स्त्री को देवी का स्वरूप माना जाता है, फिर भी उन पर अत्याचार क्यों – आशुतोष त्रिवेदी

सुनाद न्यूज

25 सितंबर 2022

हम वर्ष में दो बार नवरात्रि मनाते हैं, मां दुर्गा की उपासना करते हैं और फिर उसी मां के रुप स्त्रियों पर प्रतिदिन अन्याय और अत्याचारों की खबरें पढ़ते हैं, तो मन व्यथित सा हो जाता है।

हम उस देश के निवासी हैं, जहां पर प्राचीन काल से ”

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।”

इसका अर्थ है – “जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं, और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।”

जैसे सुविचार रखते हैं।

समय – समय पर हमारे देश में स्त्रियों के रूप में देवियों ने अवतार लिये हैं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और आत्मविश्वास से दुनिया को चकित किया है।

प्राचीन काल में विदुषी गार्गी, अपाला, विश्वआरा ने अपने ज्ञान से दुनिया में अलख जगाई, तो कभी वीरांगना लक्ष्मीबाई बनकर रणभूमि में शत्रुओं को सबक सिखाया, ऐसी जन्मभूमि है, मेरी।

जहां एक ओर हम मातृ शक्ति को देवी मां का दर्जा देते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसा कोई सप्ताह नहीं जाता है, जब हमें उन पर कोई अत्याचार की खबर न मिलती हो, हां इन सबके बीच यदि कुछ बदल रहा है, तो सिर्फ नाम , स्थान और समय कभी निर्भया होती है, तो कभी अंकिता, कभी लोकतंत्र की पावन धरा दिल्ली होती है, तो कभी गंगा की कल-कल ध्वनि से गुंजायमान होने वाली धरा ऋषिकेश, और हर बार हम एक कैंडल मार्च निकालकर, कुछ समय उस पर चर्चा करने के बाद, सब कुछ भुलाकर अपने कार्यों में मशगूल हो जाते हैं, फिर कुछ दिन बाद एक और घटना की‌ खबर आती है, और फिर से वही दोहराया जाता है।

आखिर कब तक ये चलता रहेगा, किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं, नारी को भी वो सभी प्राकृतिक अधिकार हासिल है जो कि एक पुरुष को हैं, उन्हें अबला मानकर उन पर अत्याचार करने का आशय कायरता है, और ऐसे घृणित कार्य करने वाला व्यक्ति स्वयं को इंसान कहलाने का पात्र नहीं है। हम जब अपनी मां और बहनों के साथ बाहर निकलते हैं, तो ऐसी उम्मीद रखते हैं कि सब लोग उनको इज्जत करें और वहीं दूसरी ओर हम लड़कियों पर टिप्पणी करके खुश होते हैं, हमको एक ऐसे समाज की जरूरत है, जो मानसिक रूप से स्वस्थ हों, क्यों कि ऐसे लोगों को मैं मानसिक रूप से विकृत ही मानता हूं।

ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सरकार को सख्त से सख्त कानून लाने की आवश्यकता है, और सरकारों से ज्यादा हर मां – बाप को अपने बच्चों को शुरूआत से ही स्त्री जाति इज्जत और सम्मान करना सिखाना चाहिए।

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