अद्भुत अकल्पनीय अविश्वसनीय-कानपुर के बेहटा का बरसात की सूचना देने वाला मंदिर

कानपुर,27 जून 2023। अपने कानपुर के बेहटा गांव का जगन्नाथ मंदिर तमाम रहस्य अपने अंदर समेटे है। यह विश्व के अजूबों से कम नही है।बारिश की पूर्व सूचना देता है। यह मंदिर अति प्राचीन है। जब मौसम की जानकारी इकट्ठा करने के आधुनिक साधन नही थे। तब ग्रामीण मंदिर से बरसात आने की जानकारी यहां से करते थे। वाकई पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह तमाम रहस्य अपने अंदर समेटे है।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं किसी ऐसे भवन की जिसकी छत चिलचिलाती धूप में टपकने लगे बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाए। ऐसा ही होता है।उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतरगांव विकास खंड से ठीक तीन किलोमीटर की दूरी पर बेहटा गांव के जगन्नाथ मंदिर में।

 धूप में छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव का बंद होना अबूझ पहेली

यह घटनाक्रम किसी आम ईमारत या भवन में नहीं बल्कि यह होता है भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में
छत टपकने से हो जाती है बारिश की आहट मिल जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि बारिश होने के छह-सात दिन पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं इतना ही नहीं जिस आकार की बूंदे टपकती हैं उसी आधार पर बारिश होती है।ग्रामीण व किसान तो लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझकर जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं हैरानी में डालने वाली बात यह भी है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है।मंदिर की प्राचीनता व छत टपकने के रहस्य के बारे में मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पुरातत्व विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक कई दफा आए लेकिन इसके रहस्य को नहीं जान पाए हैं अभी तक बस इतना पता चल पाया है कि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 11वीं सदी में किया गया।मंदिर की बनावट बौद्ध मठ की तरह है। इसकी दिवारें 14 फीट मोटी हैं जिससे इसके सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने के कयास भी लगाए जाते हैं लेकिन इसके निर्माण का ठीक-ठीक अनुमान अभी नहीं लग पाया है।

काले पत्थर की बनी है भगवान जगन्नाथ  बलदाऊ व सुभद्रा की मूर्तियां

भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अति प्राचीन है मंदिर में भगवान जगन्नाथ  बलदाऊ व सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां विराजमान हैं प्रांगण में सूर्यदेव और पद्मनाभम की मूर्तियां भी हैं जगन्नाथ पुरी की तरह यहां भी स्थानीय लोगों द्वारा भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है लोगों की आस्था मंदिर के साथ गहरे से जुड़ी है लोग दर्शन करने के लिए आते रहते हैं ।

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